सिंहासन बत्तीसी : पहली पुतली रत्नमंजरी की कहानी
पढ़ें प्रसिद्ध सिंहासन बत्तीसी की पहली कहानी त्नमंजरी - अंबावती में एक राजा राज्य करता था। उसका बड़ा रौब-दाब था। वह बड़ा दानी था। उसी राज्य में धर्मसेन नाम का एक और बड़ा राजा हुआ।
View Articleसिंहासन बत्तीसी : कहां से आया सिंहासन, कौन थीं 32 पुतलियां
सिंहासन बत्तीसी 32 कथाओं का संग्रह है जो विक्रमादित्य के विभिन्न गुणों का कथा के रूप में वर्णन करती हैं, पढ़ें प्रसिद्ध सिंहासन बत्तीसी की कहानियां वेबदुनिया के सिंहासन बत्तीसी चैनल पर! प्राचीन समय की...
View Articleसिंहासन बत्तीसी : दूसरी पुतली चित्रलेखा की कहानी
प्रसिद्ध सिंहासन बत्तीसी की दूसरी कहानी चित्रलेखा - एक बार राजा विक्रमादित्य की इच्छा योग साधने की हुई। अपना राजपाट अपने छोटे भाई भर्तृहरि को सौंपकर वह अंग में भभूत लगाकर जंगल में चले गए। उसी जंगल में...
View Articleसिंहासन बत्तीसी : चौथी पुतली कामकंदला की कहानी
चौथे दिन जैसे ही राजा सिंहासन पर चढ़ने को उद्यत हुए पुतली कामकंदला बोल पड़ी, रूकिए राजन, आप इस सिंहासन पर कैसे बैठ सकते हैं? यह सिंहासन दानवीर राजा विक्रमादित्य का है। क्या आप में है उनकी तरह विशेष गुण...
View Articleसिंहासन बत्तीसी : पांचवीं पुतली लीलावती की कहानी
पांचवे दिन राजा भोज सिंहासन पर बैठने की तैयारी कर ही रहे थे कि पांचवीं पुतली लीलावती ने उन्हें रोक दिया। लीलावती बोली, राजन, क्या आप विक्रमादित्य की तरह दानवीर और शूरवीर हैं? अगर हां, तब ही इस सिंहासन...
View Articleसिंहासन बत्तीसी : छठी पुतली रविभामा की कहानी
राजा भोज किसी भी सूरत में सिंहासन पर बैठने का मोह छोड़ नहीं पा रहे थे। छठे दिन फिर वे राजसी वैभव के साथ तैयार थे बैठने के लिए। तभी छठी पुतली रविभामा ने उन्हें रोक दिया- सुनो राजन यह सिंहासन परम प्रतापी...
View Articleसिंहासन बत्तीसी : तीसरी पुतली चंद्रकला की कहानी
प्रसिद्ध सिंहासन बत्तीसी की तीसरी कहानी चन्द्रकला - एक बार पुरुषार्थ और भाग्य में इस बात पर ठन गई कि कौन बड़ा है? पुरुषार्थ कहता कि बगैर मेहनत के कुछ भी संभव नहीं है जबकि भाग्य का मानना था कि जिसको जो...
View Articleसिंहासन बत्तीसी : सातवीं पुतली कौमुदी की कथा
सातवें दिन जैसे ही राजा भोज दरबार में पहुंचे और सिंहासन की तरफ बढ़े सातवीं पुतली कौमुदी जाग्रत हो गई और राजा से बोली, 'हे राजन, इस सिंहासन पर बैठने की जिद त्याग दो। इस सिंहासन पर वही बैठ सकता है जो...
View Articleसिंहासन बत्तीसी : आठवीं पुतली पुष्पवती की कथा
आठवें दिन राजा भोज पुन: राजदरबार में सिंहासन पर बैठने के लिए पहुंचे। तभी 32 पुतलियों में से एक आठवीं पुतली पुष्पवती जाग्रत हो गई और बोली, 'ठहरो राजन, अभी तुम इस सिंहासन पर बैठने के योग्य नहीं हुए हो।
View Articleसिंहासन बत्तीसी : नौवीं पुतली मधुमालती की कथा
राजा भोज हर दिन नई पुतली से राजा विक्रमादित्य की महानता और त्याग के किस्से सुनकर परशान हो चुके थे। लेकिन वे सिंहासन पर बैठने का मोह भी नहीं रोक पा रहे थे। दूसर तरफ उज्जयिनी की जनता अपने पूर्व राजा...
View Articleसिंहासन बत्तीसी : दसवीं पुतली प्रभावती की कथा
दसवें दिन फिर राजा भोज उस दिव्य सिंहासन पर बैठने के लिए उद्यत हुए लेकिन पिछले दिनों की तरह इस बार दसवीं पुतली प्रभावती जाग्रत हो गई और बोली, रुको राजन, क्या तुम स्वयं को विक्रमादित्य के समान समझने लगे हो?
View Articleसिंहासन बत्तीसी : ग्यारहवीं पुतली त्रिलोचना की कथा
राजा भोज हर दिन तैयार होकर सिंहासन पर बैठने के लिए राज दरबार पहुंचते रहे और हर दिन दिव्य सिंहासन की सुंदर पुतलियां जाग्रत होकर उन्हें टोकती रही। हर पुतली उन्हें राजा विक्रमादित्य के त्याग और शौर्य की...
View Articleसिंहासन बत्तीसी : बारहवीं पुतली पद्मावती की कथा
एक दिन रात के समय राजा विक्रमादित्य महल की छत पर बैठे थे। मौसम बहुत सुहाना था। पूनम का चांद अपने यौवन पर था तथा सब कुछ इतना साफ-साफ दिख रहा था, मानों दिन हो। प्रकृति की सुन्दरता में राजा एकदम खोए हुए...
View Articleसिंहासन बत्तीसी : तेरहवीं पुतली कीर्तिमती की कहानी
एक बार राजा विक्रमादित्य ने एक महाभोज का आयोजन किया। उस भोज में असंख्य विद्धान, ब्राह्मण, व्यापारी तथा दरबारी आमंत्रित थे। भोज के मध्य में इस बात पर चर्चा चली कि संसार में सबसे बड़ा दानी कौन है?
View Articleसिंहासन बत्तीसी : चौदहवीं पुतली सुनयना की कहानी
राजा विक्रमादित्य सारे नृपोचित गुणों के सागर थे। उन जैसा न्यायप्रिय, दानी और त्यागी और कोई न था। इन नृपोचित गुणों के अलावा उनमें एक और गुण था। वे बहुत बड़े शिकारी थे तथा निहत्थे भी हिंसक से हिंसक...
View Articleसिंहासन बत्तीसी : पन्द्रहवीं पुतली सुन्दरवती की कहानी
राजा विक्रमादित्य के शासनकाल में उज्जैन राज्य की समृद्धि आकाश छूने लगी थी। व्यापारियों का व्यापार अपने देश तक ही सीमित नहीं था, बल्कि दूर के देशों तक फैला हुआ था। उन दिनों एक सेठ हुआ जिसका नाम पन्नालाल...
View Articleसिंहासन बत्तीसी : सोलहवीं पुतली सत्यवती की कहानी
राजा विक्रमादित्य के शासनकाल में उज्जैन नगरी का यश चारों ओर फैला हुआ था। एक से बढ़कर एक विद्वान उनके दरबार की शोभा बढ़ाते थे और उनकी नौ जानकारों की एक समिति थी जो हर विषय पर राजा को परामर्श देते थे तथा...
View Articleसिंहासन बत्तीसी : सत्रहवीं पुतली विद्यावती की कहानी
महाराजा विक्रमादित्य की प्रजा को कोई कमी नहीं थीं। सभी लोग संतुष्ट तथा प्रसन्न रहते थे। कभी कोई समस्या लेकर यदि कोई दरबार आता था तो उसकी समस्या को तत्काल हल कर दिया जाता था।
View Articleसिंहासन बत्तीसी : अठारहवीं पुतली तारामती की कहानी
अठारहवीं पुतली तारामती की कथा इस प्रकार है- राजा विक्रमादित्य की गुणग्राहिता का कोई जवाब नहीं था। वे विद्वानों तथा कलाकारों को बहुत सम्मान देते थे। उनके दरबार में एक से बढ़कर एक विद्वान तथा कलाकार...
View Articleसिंहासन बत्तीसी : उन्नीसवीं पुतली रूपरेखा की कहानी
राजा विक्रमादित्य के दरबार में लोग अपनी समस्याएं लेकर न्याय के लिए तो आते ही थे कभी-कभी उन प्रश्नों को लेकर भी उपस्थित होते थे जिनका कोई समाधान उन्हें नहीं सूझता था। विक्रम उन प्रश्नों का ऐसा सटीक हल...
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