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Channel: सिंहासन बत्तीसी
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सिंहासन बत्तीसी : पहली पुतली रत्नमंजरी की कहानी

पढ़ें प्रसिद्ध सिंहासन बत्तीसी की पहली कहानी त्नमंजरी - अंबावती में एक राजा राज्य करता था। उसका बड़ा रौब-दाब था। वह बड़ा दानी था। उसी राज्य में धर्मसेन नाम का एक और बड़ा राजा हुआ।

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सिंहासन बत्तीसी : दूसरी पुतली चित्रलेखा की कहानी

प्रसिद्ध सिंहासन बत्तीसी की दूसरी कहानी चित्रलेखा - एक बार राजा विक्रमादित्य की इच्छा योग साधने की हुई। अपना राजपाट अपने छोटे भाई भर्तृहरि को सौंपकर वह अंग में भभूत लगाकर जंगल में चले गए। उसी जंगल में...

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सिंहासन बत्तीसी : चौथी पुतली कामकंदला की कहानी

चौथे दिन जैसे ही राजा सिंहासन पर चढ़ने को उद्यत हुए पुतली कामकंदला बोल पड़ी, रूकिए राजन, आप इस सिंहासन पर कैसे बैठ सकते हैं? यह सिंहासन दानवीर राजा विक्रमादित्य का है। क्या आप में है उनकी तरह विशेष गुण...

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सिंहासन बत्तीसी : पांचवीं पुतली लीलावती की कहानी

पांचवे दिन राजा भोज सिंहासन पर बैठने की तैयारी कर ही रहे थे कि पांचवीं पुतली लीलावती ने उन्हें रोक दिया। लीलावती बोली, राजन, क्या आप विक्रमादित्य की तरह दानवीर और शूरवीर हैं? अगर हां, तब ही इस सिंहासन...

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सिंहासन बत्तीसी : छठी पुतली रविभामा की कहानी

राजा भोज किसी भी सूरत में सिंहासन पर बैठने का मोह छोड़ नहीं पा रहे थे। छठे दिन फिर वे राजसी वैभव के साथ तैयार थे बैठने के लिए। तभी छठी पुतली रविभामा ने उन्हें रोक दिया- सुनो राजन यह सिंहासन परम प्रतापी...

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सिंहासन बत्तीसी : तीसरी पुतली चंद्रकला की कहानी

प्रसिद्ध सिंहासन बत्तीसी की तीसरी कहानी चन्द्रकला - एक बार पुरुषार्थ और भाग्य में इस बात पर ठन गई कि कौन बड़ा है? पुरुषार्थ कहता कि बगैर मेहनत के कुछ भी संभव नहीं है जबकि भाग्य का मानना था कि जिसको जो...

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सिंहासन बत्तीसी : सातवीं पुतली कौमुदी की कथा

सातवें दिन जैसे ही राजा भोज दरबार में पहुंचे और सिंहासन की तरफ बढ़े सातवीं पुतली कौमुदी जाग्रत हो गई और राजा से बोली, 'हे राजन, इस सिंहासन पर बैठने की जिद त्याग दो। इस सिंहासन पर वही बैठ सकता है जो...

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सिंहासन बत्तीसी : आठवीं पुतली पुष्पवती की कथा

आठवें दिन राजा भोज पुन: राजदरबार में सिंहासन पर बैठने के लिए पहुंचे। तभी 32 पुतलियों में से एक आठवीं पुतली पुष्पवती जाग्रत हो गई और बोली, 'ठहरो राजन, अभी तुम इस सिंहासन पर बैठने के योग्य नहीं हुए हो।

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सिंहासन बत्तीसी : नौवीं पुतली मधुमालती की कथा

राजा भोज हर दिन नई पुतली से राजा विक्रमादित्य की महानता और त्याग के किस्से सुनकर परशान हो चुके थे। लेकिन वे सिंहासन पर बैठने का मोह भी नहीं रोक पा रहे थे। दूसर तरफ उज्जयिनी की जनता अपने पूर्व राजा...

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सिंहासन बत्तीसी : दसवीं पुतली प्रभावती की कथा

दसवें दिन फिर राजा भोज उस दिव्य सिंहासन पर बैठने के लिए उद्यत हुए लेकिन पिछले दिनों की तरह इस बार दसवीं पुतली प्रभावती जाग्रत हो गई और बोली, रुको राजन, क्या तुम स्वयं को विक्रमादित्य के समान समझने लगे हो?

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सिंहासन बत्तीसी : ग्यारहवीं पुतली त्रिलोचना की कथा

राजा भोज हर दिन तैयार होकर सिंहासन पर बैठने के लिए राज दरबार पहुंचते रहे और हर दिन दिव्य सिंहासन की सुंदर पुतलियां जाग्रत होकर उन्हें टोकती रही। हर पुतली उन्हें राजा विक्रमादित्य के त्याग और शौर्य की...

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सिंहासन बत्तीसी : बारहवीं पुतली पद्मावती की कथा

एक दिन रात के समय राजा विक्रमादित्य महल की छत पर बैठे थे। मौसम बहुत सुहाना था। पूनम का चांद अपने यौवन पर था तथा सब कुछ इतना साफ-साफ दिख रहा था, मानों दिन हो। प्रकृति की सुन्दरता में राजा एकदम खोए हुए...

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सिंहासन बत्तीसी : तेरहवीं पुतली कीर्तिमती की कहानी

एक बार राजा विक्रमादित्य ने एक महाभोज का आयोजन किया। उस भोज में असंख्य विद्धान, ब्राह्मण, व्यापारी तथा दरबारी आमंत्रित थे। भोज के मध्य में इस बात पर चर्चा चली कि संसार में सबसे बड़ा दानी कौन है?

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सिंहासन बत्तीसी : चौदहवीं पुतली सुनयना की कहानी

राजा विक्रमादित्य सारे नृपोचित गुणों के सागर थे। उन जैसा न्यायप्रिय, दानी और त्यागी और कोई न था। इन नृपोचित गुणों के अलावा उनमें एक और गुण था। वे बहुत बड़े शिकारी थे तथा निहत्थे भी हिंसक से हिंसक...

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सिंहासन बत्तीसी : पन्द्रहवीं पुतली सुन्दरवती की कहानी

राजा विक्रमादित्य के शासनकाल में उज्जैन राज्य की समृद्धि आकाश छूने लगी थी। व्यापारियों का व्यापार अपने देश तक ही सीमित नहीं था, बल्कि दूर के देशों तक फैला हुआ था। उन दिनों एक सेठ हुआ जिसका नाम पन्नालाल...

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सिंहासन बत्तीसी : सोलहवीं पुतली सत्यवती की कहानी

राजा विक्रमादित्य के शासनकाल में उज्जैन नगरी का यश चारों ओर फैला हुआ था। एक से बढ़कर एक विद्वान उनके दरबार की शोभा बढ़ाते थे और उनकी नौ जानकारों की एक समिति थी जो हर विषय पर राजा को परामर्श देते थे तथा...

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सिंहासन बत्तीसी : सत्रहवीं पुतली विद्यावती की कहानी

महाराजा विक्रमादित्य की प्रजा को कोई कमी नहीं थीं। सभी लोग संतुष्ट तथा प्रसन्न रहते थे। कभी कोई समस्या लेकर यदि कोई दरबार आता था तो उसकी समस्या को तत्काल हल कर दिया जाता था।

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सिंहासन बत्तीसी : अठारहवीं पुतली तारामती की कहानी

अठारहवीं पुतली तारामती की कथा इस प्रकार है- राजा विक्रमादित्य की गुणग्राहिता का कोई जवाब नहीं था। वे विद्वानों तथा कलाकारों को बहुत सम्मान देते थे। उनके दरबार में एक से बढ़कर एक विद्वान तथा कलाकार...

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सिंहासन बत्तीसी : उन्‍नीसवीं पुतली रूपरेखा की कहानी

राजा विक्रमादित्य के दरबार में लोग अपनी समस्याएं लेकर न्याय के लिए तो आते ही थे कभी-कभी उन प्रश्नों को लेकर भी उपस्थित होते थे जिनका कोई समाधान उन्हें नहीं सूझता था। विक्रम उन प्रश्नों का ऐसा सटीक हल...

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सिंहासन बत्तीसी : बीसवीं पुतली ज्ञानवती की कहानी

बीसवीं पुतली ज्ञानवती ने जो कथा सुनाई वह इस प्रकार है- राजा विक्रमादित्य सच्चे ज्ञान के बहुत बड़े पारखी थे तथा ज्ञानियों की बहुत कद्र करते थे। उन्होंने अपने दरबार में चुन-चुन कर विद्वानों, पंडितों,...

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सिंहासन बत्तीसी : इक्कीसवीं पुतली चन्द्रज्योति की कहानी

एक बार विक्रमादित्य एक यज्ञ करने की तैयारी कर रहे थे। वे उस यज्ञ में चन्द्रदेव को आमन्त्रित करना चाहते थे। चन्द्रदेव को आमन्त्रण देने कौन जाए? इस पर विचार करने लगे। काफी सोच-विचार के बाद उन्हें लगा कि...

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सिंहासन बत्तीसी : बाइसवीं पुतली अनुरोधवती की कहानी

राजा विक्रमादित्य अद्भुत गुणग्राही थे। वे सच्चे कलाकारों का बहुत अधिक सम्मान करते थे तथा स्पष्टवादिता पसंद करते थे। उनके दरबार में योग्यता का सम्मान किया जाता था। चापलूसी जैसे दुर्गुण की उनके यहां कोई...

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सिंहासन बत्तीसी : तेईसवीं पुतली धर्मवती की कहानी

तेईसवीं पुतली जिसका नाम धर्मवती था, ने इस प्रकार कथा कही- एक बार राजा विक्रमादित्य दरबार में बैठे थे और दरबारियों से बातचीत कर रहे थे। बातचीत के क्रम में दरबारियों में इस बात पर बहस छिड़ गई कि मनुष्य...

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सिंहासन बत्तीसी : चौबीसवीं पुतली करुणावती की कहानी

चौबीसवीं पुतली करुणावती ने जो कथा कही वह इस प्रकार है- राजा विक्रमादित्य का सारा समय ही अपनी प्रजा के दुखों का निवारण करने में बीतता था। प्रजा की किसी भी समस्या को वे अनदेखा नहीं करते थे। सारी समस्याओं...

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सिंहासन बत्तीसी : पच्चीसवीं पुतली त्रिनेत्री की कहानी

त्रिनेत्री नामक पच्चीसवीं पुतली की कथा इस प्रकार है- राजा विक्रमादित्य अपनी प्रजा के सुख-दुख का पता लगाने के लिए कभी-कभी वेश बदलकर घूमा करते थे तथा खुद सारी समस्या का पता लगाकर निदान करते थे।

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सिंहासन बत्तीसी : छब्बीसवीं पुतली मृगनयनी की कहानी

मृगनयनी नामक छब्बीसवीं पुतली ने जो कथा सुनाई वह इस प्रकार है- राजा विक्रमादित्य न सिर्फ अपना राजकाज पूरे मनोयोग से चलाते थे, बल्कि त्याग, दानवीरता, दया, वीरता इत्यादि अनेक श्रेष्ठ गुणों के धनी थे।

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सिंहासन बत्तीसी : सत्‍ताइसवीं पुतली मलयवती की कहानी

विक्रमादित्य बड़े यशस्वी और प्रतापी राजा थे और राज-काज चलाने में उनका कोई सानी नहीं था। वीरता और विद्वता का अद्भुत संगम थे। उनके शस्‍त्र ज्ञान और शास्‍त्र ज्ञान की कोई सीमा नहीं थी। वे राज-काज से बचा...

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सिंहासन बत्तीसी : अट्ठाईसवीं पुतली वैदेही की कहानी

अट्ठाईसवीं पुतली का नाम वैदेही था और उसने अपनी कथा इस प्रकार कही- एक बार राजा विक्रमादित्य अपने शयन कक्ष में गहरी निद्रा में लीन थे। उन्होंने एक सपना देखा। एक स्वर्ण महल है जिसमें रत्न, माणिक इत्यादि...

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सिंहासन बत्तीसी : उनतीसवीं पुतली मानवती की कहानी

उनतीसवीं पुतली मानवती ने इस प्रकार कथा सुनाई- राजा विक्रमादित्य वेश बदलकर रात में घूमा करते थे। ऐसे ही एक दिन घूमते-घूमते नदी के किनारे पहुंच गए। चांदनी रात में नदी का जल चमकता हुआ बड़ा ही प्यारा दृश्य...

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सिंहासन बत्तीसी : तीसवीं पुतली जयलक्ष्मी की कहानी

तीसवीं पुतली जयलक्ष्मी ने जो कथा कही वह इस प्रकार है- राजा विक्रमादित्य जितने बड़े राजा थे उतने ही बड़े तपस्वी। उन्होंने अपने तप से जान लिया कि वे अब अधिक से अधिक छ: महीने जी सकते हैं। अपनी मृत्यु को...

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सिंहासन बत्तीसी : इकत्तीसवीं पुतली कौशल्या की कहानी

राजा विक्रमादित्य वृद्ध हो गए थे तथा अपने योगबल से उन्होंने यह भी जान लिया कि उनका अंत अब काफी निकट है। वे राजकाज और धर्म कार्य दोनों में अपने को लगाए रखते थे। उन्होंने वन में भी साधना के लिए एक आवास...

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सिंहासन बत्तीसी : बत्तीसवीं पुतली रानी रूपवती की कहानी

बत्तीसवीं पुतली रानी रूपवती ने राजा भोज को सिंहासन पर बैठने की कोई रुचि नहीं दिखाते देखा तो उसे अचरज हुआ। उसने जानना चाहा कि राजा भोज में आज पहले वाली व्यग्रता क्यों नहीं है।

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सिंहासन बत्तीसी : कहां से आया सिंहासन, कौन थीं 32 पुतलियां

सिंहासन बत्तीसी 32 कथाओं का संग्रह है जो विक्रमादित्य के विभिन्न गुणों का कथा के रूप में वर्णन करती हैं, पढ़ें प्रसिद्ध सिंहासन बत्तीसी की कहानियां वेबदुनिया के सिंहासन बत्तीसी चैनल पर! प्राचीन समय की...

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